मोह ये भंग होता नहीं,
नई ख़्वाहिशें हर दिन निकल आतीं हैं कई।
बन मोम इन ख़्वाहिशों को ले
वो फिर पिघल गयी कहीं,
पर ख़्वाहिशें ख़त्म हुई नहीं पूरी ,
रह गयी इस बार भी थोड़ी।
©Dr.Kavita
मोह ये भंग होता नहीं,
नई ख़्वाहिशें हर दिन निकल आतीं हैं कई।
बन मोम इन ख़्वाहिशों को ले
वो फिर पिघल गयी कहीं,
पर ख़्वाहिशें ख़त्म हुई नहीं पूरी ,
रह गयी इस बार भी थोड़ी।
©Dr.Kavita
achchi kavita hai….moh maya se bandith hai har koi.
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🤗🤗thnx
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