उदास चेहरे पर मुस्कान कहाँ से लाऊं?
जो खो दिया ,वो पहचान कहाँ से लाऊं?
मन मेरा भी है कि करूणा रस से वात्सल्य और श्रिंगार रस की कवि बन जाऊं ।
पर वो प्रेम और स्वाभिमान कहाँ से लाऊं ।
जब लगे कि खुदा हीं रूठा बैठा हो तो वो अनुमोद, वरदान कहाँ से लाऊं ।
उदास चेहरे पर मुस्कान कहाँ से लाऊं?
वो खोयी हुई पहचान कहाँ से लाऊं?
बहुत सुंदर पंक्तियां
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