
उम्मीदों में खोयी, आखों में खाब़ पिरोयी,
हालातों से.. वो लड़ती लड़की ।
कुछ को वो भांती..
कुछ को ..वो खटकती ।
वैसे चुप होती है,
कहीं गुम होती है ।
पर बात करो तो.. हर बात पर चिढ़ती ।
बेफ़िजूल दस्तूरों पर वो… भड़कती लड़की।
उम्मीदों में खोयी, आखों में खाब़ पिरोयी,
हालातों से.. वो लड़ती लड़की ।
कुछ को वो भांती..
कुछ को ..वो खटकती ।
वैसे चुप होती है,
कहीं गुम होती है ।
पर बात करो तो.. हर बात पर चिढ़ती ।
बेफ़िजूल दस्तूरों पर वो… भड़कती लड़की।
बेहतरीन 👍🏻
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Thank you so much dear💕😊
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बेहतरीन लिखा है। उम्दा।👌👌
फूलों को भी हक
खुले आसमान में खिलने को,
पंछियों को उड़ने को,
और हवाओं को
बेरोक टोक बहने को,
मगर चाहरदीवारी में कैद सिसकती लड़की,
बेफ़िजूल दस्तूरों पर वो… भड़कती लड़की।
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बहुत ही सुंदर पंक्तियाँ है सर😍💕🤗
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