
गलती हो गयी थी मुझसे,
कि मैं हारने लगी थी।
मंजिल छोड़, अड़चने ताकने लगी थी।
उम्मीद का दामन पकड़ना था मुझे,
पर मैं निराशा का हाथ थमाने लगी थी।
बात लोगों कि सुन, खुद को कम आंकने लगी थी।
गलती हो गयी थी मुझसे,
कि मैं हारने लगी थी।
©Dr.Kavita
गलती हो गयी थी मुझसे,
कि मैं हारने लगी थी।
मंजिल छोड़, अड़चने ताकने लगी थी।
उम्मीद का दामन पकड़ना था मुझे,
पर मैं निराशा का हाथ थमाने लगी थी।
बात लोगों कि सुन, खुद को कम आंकने लगी थी।
गलती हो गयी थी मुझसे,
कि मैं हारने लगी थी।
©Dr.Kavita
I like it
LikeLiked by 1 person
Thank you so much for your appreciation 🤗
LikeLike
Kindly never give up!!
Beautiful lines 🙂
LikeLiked by 1 person
I won’t. And thank you so much for appreciation😊😊🙏🙏❣❣
LikeLike