वो योद्धा है

वो योद्धा है,
वो लड़ना चाहती है।
घायल शोणित पाँव लिए भी
वो चलना चाहती है।
 
वो योद्धा है,
वो कायरता को धिक्कारती है,
बुज़दिली को अस्वीकारती है। 

प्रतिकूल आज लिए,
रक्त में क्रोध की धाह लिए
वो जलना चाहती है।
 वो योद्धा है।
वो लड़ना चाहती है।

©Dr.Kavita

29 thoughts on “वो योद्धा है

  1. Very powerful poem .
    रुख तो हवाओ के मुड़ा करते हैं,
    तुफानो के साथ तो जुड़ा करते हैं
    आत्म सम्मान से भरी नारी के लिए तो,
    खुद योद्धा खड़ा हुआ करते हैं।

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  2. जी हाँ, अपने आत्मसम्मान को चोट पहुंची तो हरेक लडकी या नारी , वो योद्घा ज़रूर हो जायेगी 🌹🙏👍🏼
    बहुत प्रेरणादायक लेख 👍🏼🌹 बधाइयाँ 🙏🌹

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    1. जी बिल्कुल, आपने सही कहा।
      मेरी रचना को पसंद करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद ma’am।🤗🤗🙏💐😊❤❤

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      1. मेरी ओर से कुछ सुझाव:
        1. अपने लेखन को एक उद्देश्य ही तरफ दिशा दीजिए।
        2. Online बहुत से platforms है जो लेखकों को बढ़ावा देते है । आप उनमें अपनी सहभागिता दर्ज कर सकती है।
        3. उन पाठकों से सुझाव माँगे जाएं जो आपके काम से गहरे रूप से प्रभावित है।
        4. अपने बात कहना अच्छी बात है लेकिन यह बात समाज या देश हित में कही जाए तो ज्यादा लोगो तक पहुंचेगी । इसका महत्व बढ़ेगा।
        5. कॉपी करना अच्छी बात नहीं है लेकिन बड़े लेखकों से काफी बातें सीखी जा सकती है।
        मुझे लगता है जब लेखक खुद पर भरोसा कर लें तो यही भरोसा उसे हमेशा आगे बढनें की स्वप्रेरणा देता है।
        हमारें दृढ संकल्प हमारी ताकत है।
        हमारा लिखना हमें जिंदा रखता है।
        – रजिया सज्जाद ज़हीर

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